क्यों किया.....
ये तूने क्या किया दगा,
जिसे बताया सगों से भी सगा,
उसने ही पराया कर दिया |
हम तो जा रहे थे सीधे रास्ते,
क्यों देकर आवाज बुला लिया |
हम ठीक थे गुमनाम ही,
हमे अपना क्यूँ बना लिया |
चाहकर भी हम मुड़ न सके,
क्या जादू ऐसा उस वक़्त किया |
और आज एक ही झटके मे,
बेगाना हमको बना दिया |
हम ठीक थे गुमनामी के अँधेरे मे ही,
इस झूठी रोशनी मे लाकर क्यूँ खड़ा किया |
उस वक़्त मयस्सर नही था केवल तेरा साया,
आज नही मयस्सर कोई दुआ,
जिसने पहले था बचा लिया |
ये तूने क्या किया,
ये तूने क्यों किया.....|