Thursday, 20 February 2014

याद तुम्हारी


               याद  तुम्हारी 
नए साल का पहला दिन ,दो सालों के बाद,
पहला साल तुम्हारे बिन.
पूरी यादें याद की ,बिताई थी जो तुम्हारे साथ,
उस साल,उन दिन.
तुम तो चले गये,छोड़कर हमारा हाथ,
ढूँढ़ते रह गये हम कोई उम्मीद, तुम्हारे बिन.
उम्मीद दिखी भी कई जगह,पर धोखा भी था साथ,
मुश्किल होता है मिलना तुम जैसा, इन दिन.
पर जब मिलता है, तो यूँ ही नही टूटता साथ,
याद करता है तुमको हर दिन,तो पागल नही है ये दिल.
मिला भी अगर हमे कोई, इस कदर चाहने वाला,
तब भी तुम सबसे ऊपर हो क्योंकि 
अपनों मे शामिल करता है,तुम्हे हमारा दिल.
और अपनों क भुलाया नही जाता साथ,
चाहे हो कोई साल और हो कोई दिन |

No comments:

Post a Comment